संस्कृतियों को जोड़ती मेरी "सड़क गंगा"
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NH-30 - मेरी सड़क गंगा
14 टिप्पणियाँ:
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गंगा, संस्कॄति और मील के पत्थरों से बतियाना...(पत्थर, पत्थरों की भाषा समझते हैं)
सड़क का आसमान की ओर देखकर यादों के साथ चलना...(दोनो साथ साथ हैं)
विकास के साथ ही बदलाव को सहेजना...(वर्तमान को संजोना)
जैसे-दिन भर की मेहनत के बाद नये ब्लॉग का जन्म होना.......अहर्निश यात्रा...
शुभकामनाएं....
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आपके नये ब्लॉग का स्वागत्!
यह ब्लॉग निरन्तर प्रगति के पथ पर बढ़ता रहे!
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बहुत बहुत स्वागत है आपका नए ब्लॉग के साथ..ढेरों शुभकामनाये.
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बहुत ही अच्छा लगा.गाँव का दर्द महसूस किया...ख़ुशी तो मुझे कहीं दिखी नहीं
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सराहनीय और स्वागतेय प्रयास. 43 के 30 हो जाने की खबर यहीं मिली.
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bahut khubsurat kavyatmak aur bhavnatmak varnan.......
subhkamna....
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राजमार्ग के नम्बर के साथ-साथ "गेट-अप" भी बदला।
शर्मा जी, नया चश्मा, नये कपड़े, नयी मूंछें.......क्या बात है
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स्वागत है आपका नए ब्लॉग के साथ..ढेरों शुभकामनाये.
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आपका प्रयास सराहनीय है ललितजी, वैसे ज़मीन की दलाली और खरीद फरोख्त ने जीवन जीने और रिश्ते नातों को निभाने के रस्मो रिवाजों पर भी असर डाला है और यह असर कुछ खास नज़र नहीं आता. पैसा जिस तरह से आया है अपने साथ बहुत कुछ अनवांछित ही ले आया !!
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स्वागत इस नये ब्लॉग का एवं अनेक शुभकामनाएँ...
गंगा सिर्फ़ एक नदी ही नहीं संस्कृति का नाम भी है- बहुत सही बात कही आपने.
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naye blog ki bahut shubhkamnayen ....aapki blog yatra ganga ki tarah anvarat chalti rahi.....bachpan ki yaden padhna bahut rochak laga...
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bahut achchhi story hai, aapne bahut hi sundar chitran kiya hai, badhai..lekin 1856 me chhattisgarh me bahut bada akal pada tha.
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कोई काम नहीं है मुस्किल,जब किया ईरादा पक्का।
मै हूँ आदमी सड़क का,-----मै हूँ आदमी सड़क का
राष्ट्रीय राजमार्ग 43 अब 30 हुआ
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- ब्लॉ.ललित शर्मा
- परिचय क्या दूँ मैं तो अपना, नेह भरी जल की बदरी हूँ। किसी पथिक की प्यास बुझाने, कुँए पर बंधी हुई गगरी हूँ। मीत बनाने जग मे आया, मानवता का सजग प्रहरी हूँ। हर द्वार खुला जिसके घर का, सबका स्वागत करती नगरी हूँ।
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इस नए ब्लॉग के साथ आपका स्वागत है .. उम्मीद है इसके माध्यम से समय के बदलाव को चित्रों एवं आलेखों के द्वारा सहेजने और दस्तावेजीकरण करने में आप सफलता प्राप्त करेंगे .. शुभकामनाएं !!