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गुरुवार, 23 जून 2011
चलते हैं "सड़क गंगा" के तीरे-तीर प्रात: भ्रमण के लिए, निकलते समय देखा कि आंगन बतर कीरी से भरा हुआ है। जमीन पर पैर रखने पर दस-बीस नीचे आने का खतरा था, इसलिए दूसरे दरवाजे से जाना पड़ा। "बतर कीरी" स्थानीय भाषा में "पंख वाली दीमक" को कहते हैं। जैसे ही असाढ का महीना आता है और पहली बारिश के साथ ही यह बांबी से बाहर आ जाती है, किसान जान जाते हैं कि अब बतर (खेत बुआई) का समय  आ गया है। यह कीड़ा बतर की सूचना देता है, इसलिए इसका नाम बतर कीरी पड़ गया।

बतर कीरी

आगे चलने पर खेतो में खातु (खाद) पलाया (डाला) हुआ दिखाई दिया। मतलब किसान फ़सल लेने की अपनी पुरी तैयारी में है। खातु गाड़ा भोर से ही चालु हो जाता है। अपने घुरवा का खातु किसान खेतों में पहुंचाते हैं, गोबर खाद से फ़सल अच्छी होती है, मवेशियों की कम होती संख्या के कारण गोबर खाद समुचित मात्रा में नहीं मिल पाता। इसलिए किसान को रासायनिक खाद का उपयोग करना पड़ता है।

खेत में डाला गया खाद

खेतों की अकरस जोताई ( वर्षा की पहली बौछारों में पहली जोताई ) हो चुकी है, कुछ दिनों में खेतों में बीज छिड़क कर फ़िर एक बार जोताई की जाएगी। जिसको रोपा पद्धति से खेती करना है वह थरहा (पौध) के लिए बीज पहले ही डाल चुका है। सावन में खूब पानी गिरने पर रोपा (पौधा रोपना) लगाया जाएगा। अभी रोपा लगाने में समय है।

अकरस जोताई
सड़क गंगा पर आवा-गमन जारी है, अभी दिन निकला नहीं, धुंधलका छाया हुआ है, प्रात: भ्रमण वाले यात्री मिलने लगे हैं। मैं भी सड़क गंगा के साथ-साथ चल रहा हूँ।

सड़क गंगा
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10 टिप्पणियाँ:

  1. Rahul Singh ने कहा…:

    चलते चलिए, हम भी साथ हैं.

  1. राजीव तनेजा ने कहा…:

    पंख वाली दीमक के बारे में पहली बार पता चला...
    उम्मीद है कि आपके इस ब्लॉग के जरिये और भी रोचक बातें जानने को मिलेंगी

  1. Unknown ने कहा…:

    शहर में तो हमें खेती के ये क्रिया-कलाप देखने को नहीं मिलते हैं, हाँ बचपन में, जब रायपुर एक बस्ती जैसे था और बस्ती की सीमा समाप्त होते ही खेत होते थे, अवश्य ही यह सब देखा था।

    बहुत अच्छा लगा पढ़कर!

  1. केवल राम ने कहा…:

    अकरस जोताई के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए आपका धन्यवाद ....आशा है अब हम भी नित्य प्रति आपके साथ गंगा का भ्रमण करते रहेंगे ...!

  1. बढ़िया जानकारी, भईया.... बधाई...
    “इस सड़क गंगा के सफर में, हम भी हैं हमराह तेरे....”

  1. Arunesh c dave ने कहा…:

    बिना टिकट खेत घुमा दिया

  1. shikha varshney ने कहा…:

    घुमाकडी से बढ़िया कुछ भी नहीं.

  1. वाणी गीत ने कहा…:

    दीमक राजस्थान की एक बड़ी समस्या है ...खेती की जमीन पर शहरी क्षेत्र बस जाने के कारण घरों में भी बहुत नुकसान पहुंचाती है ...
    सड़क- गंगा की यात्रा जल गंगा से कम रोचक नहीं लगी !

  1. वाह वाह! कैसा बढ़िया चित्रण! आगे असाढ़ गिरगे पानी… भींग गे ओरिया भींग गे छान्ही…अररर अर धर के तता धर ले नांगर धर तुतारी…………कईसे संगवारी??????

  1. Darshan Lal Baweja ने कहा…:

    पंख वाली दीमक निकलने के बाद लाखों मे से सैकड़े की संख्या मे बच पाती हीं बाकी मर जाती हैं या फिर परभक्षियों का शिकार हो जाती हैं जो बच जाती हैं वो बनाती है नयी बस्ती नयी दुनिया .........

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